भोजन हम सभी के लिए जीवनदायी और अनिवार्य होता है । जीवित रहने के लिए प्रतिदिन भोजन करना जरुरी होता है । लेकिन क्या अपने कभी सोचा है भोजन भी भाग्य और दुर्भाग्य में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
जी हाँ, ऐसा होता है ,भोजन भी देता है भाग्य और दुर्भाग्य । आज आचार्य पीयूष वशिष्ठ आपको बता रहे है की किस प्रकार भोजन हमारे भाग्य , स्वास्थ्य और धर्म को प्रभावित करता है ।
1 रविवार के दिन कभी भी अदरख और लाल रंग की सब्जिया जैसे टमाटर , गाजर आदि नहीं खानी चाहिए । ऐसा करने से भाग्य कमजोर होता है और रोग शीघ्र आते है ।
2 सूर्य अस्त होने के बाद कभी भी तिल से बना कोई पदार्थ नहीं खाना चाहिए ।
3 ताम्बे के पत्र में दूध , जूठी वस्तु में घी डालकर खाना और दूध में नमक डालकर खाना ये तीनो ही कार्य आयु को काम कर देते है और उस दिन की गई पूजा निष्फल हो जाती है ।
4 चावल कभी भी लोहे के बर्तन में नहीं बनाने चाहिए ।लोहे के पात्र में बना चावल खाने से भाग्य रुष्ट हो जाता है ।
5 अगर आपको पैसे की परेशानी हो या क़र्ज़ बढ़ गया हो तो भूलकर भी रात्रि में दही नहीं खाना चाहिए । ऐसा करने से क़र्ज़ और बढ़ता जाता है ।
6 यदि आप पूजा पाठी है, किसी अनुष्ठान में बैठे है या चाहते है की आपकी सात्विक ऊर्जा नष्ट नहीं हो तो कभी भी लहसुन, प्याज, गाजर, शलगम, सफ़ेद बैगन, लाल रंग की मूली और नाले या शमशान में उत्पन्न हुई कोई भी वस्तु नहीं खानी चाहिए ।
7 गाय का बछड़ा होने के बाद सात दिनों तक उसका दूध नहीं पीना चाहिए । ऐसा करने पर शरीर में रोग उत्पन्न हो जाते है और पूजा का फल नष्ट हो जाता है ।
8 यदि आपकी जन्मपत्रिका में चन्द्रमा ख़राब हो और मानसिक अशांति रहती हो या कफ से सम्बंधित रोग रहते हों तो सूर्यास्त के बाद कभी भी दूध नहीं पीना चाहिए । कभी पीना ही हो तो चीनी डाले बिना ही पीये ।
9 पारद शिवलिंग दरिद्रता का नाश करने वाला होता हैं लेकि पारा शरीर के लिए हानिकारक होता है इसलिए इस पर चढ़ा हुआ या स्पर्श हुआ प्रसाद , चरणामृत कभी भूलकर भी नहीं खाना चाहिए ।
10 यदि कोई ब्राम्हण, साधु या पूजा करने वाला व्यक्ति शराब का सेवन करे, उसे स्पर्श करे या किसी और को पीने के लिए दे तो उसकी सात्विकता नष्ट हो जाती है और शनि देव नाराज होकर अशुभ फल देते है ।
11 यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा हो और शीघ्र विवाह का उपाय चाहते हो तो नित्य माँ पारवती को खीर बनाकर भोग लगाये और थोड़ी खीर स्वयं भी खाए ।
12 जिस पात्र में शराब पी गई हो उसी में यदि कोई साफ करके जल पी लेता है तो उसके द्वारा किये गए व्रत का फल नष्ट हो जाता है ।
13 पान का सेवन लक्ष्मी बढ़ता है लेकिन इसके अग्र भाग में और डंठल में दरिद्रता का निवास होता है इसलिए पान हमेशा आगे की नोक और डंठल तोड़ने के बाद ही खाना चाहिए । रात्रि में भी पान नहीं खाना चाहिए ।
14 यदि आप रुद्राक्ष धारण करते है तो ध्यान रखे इस पर कोई भी जूठी वस्तु का स्पर्श नहीं हो । एक मुखीया चौदह मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का प्रतीक होते हैं। यदि भोजन के समय इन पर जूठन का स्पर्श हो जाये तो पंचामृत से पुनः शुद्ध करना चाहिए ।